कल से चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व प्रारंभ हो रहा है। 9 अप्रैल, 2024 को कलश स्थापना के लिए सबसे उत्तम मुहूर्त सुबह 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। यह अभिजीत मुहूर्त होने के कारण अति शुभ माना जाता है।
कलश स्थापना, पूजा-पाठ और शुभ कार्यों के लिए अभिजीत मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ होता है।
चैत्र नवरात्रि का महत्व:
नौ दिनों तक देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है।
यह पर्व दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्ति दिलाता है।
मां दुर्गा को शक्ति, समृद्धि और विद्या की देवी माना जाता है।
नवरात्रि में उपवास, पूजा और मंत्र जाप करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
कलश स्थापना विधि:
कलश एक पवित्र पात्र होता है जिसमें जल, जौ, सिक्का और मौली रखा जाता है।
कलश को लाल कपड़े से ढककर उस पर स्वास्तिक बनाया जाता है।
कलश को स्थापित करने के लिए सबसे पहले एक चौकी रखें और उस पर मिट्टी का एक टीला बनाएं।
टीले पर कलश स्थापित करें और उसमें जल, जौ, सिक्का और मौली भरें।
कलश के चारों ओर मौली बांधें और नारियल रखें।
फिर देवी दुर्गा का ध्यान करें और मंत्रों का जाप करें।
देवी मां के मंत्र:
ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै'
सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
अन्य शुभ मुहूर्त:
ब्रह्मा मुहूर्त: सुबह 04:31 से 05:17 तक
विजय मुहूर्त: दोपहर 02:30 से दोपहर 03:21 तक
गोधूलि मुहूर्त: शाम 06:42 से शाम 07:05 तक
अमृत काल: रात 10:38 से रात 12:04 तक
निशिता काल: रात 12:00 से 12:45 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05:06 तक
अमृत सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05:06 तक
आप सभी को चैत्र नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं!
नोट: उपरोक्त जानकारी केवल सामान्य जानकारी के लिए है। कृपया किसी भी धार्मिक अनुष्ठान को करने से पहले किसी पंडित या धार्मिक विद्वान से सलाह लें।
Comments